संत कबीर साहिब
।। आओ संत कबीर के बारे में जानें।।
संत कबीर साहिब जिन्होंने समाज को वास्तविक सतभक्ति से परिचित कराया वो कोई और नहीं पूर्ण परमेश्वर स्वयं संत रूप में कांशी में लहरतारा तालाब में कमल के मनोहर फूल पर विक्रमी संवत 1455 (सन1398) जेष्ठ मास की पूर्णिमा सुबह सुबह ब्रह्ममुहूर्त में दिव्य बालक के रूप में प्रगट हुए थे।
जहाँ से नीरू तथा नीम नामक जुलाहा दम्पत्ती जो कि निसन्तान थे, उस दिव्य बालक को अपने घर लेकर आए और पालन पोषण किया।जिससे नीरू नीम कबीर साहेब के मुँह बोले माता-पिता कहलाये।
संत कबीर के जन्म को लेकर समाज में काफी भ्रान्तियाँ हैं।इन भ्रान्तियों के समाधान के लिए आप नीचे दिये गए Video को जरूर देखें इसे देखने के बाद आप के सारे भ्रम खंड हो जायेंगे।
लीला करते हुए संत कबीर साहिब ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, पाखंडवाद और भ्रष्टाचार को मिटाते हुए समाज को पूर्ण मोक्ष मार्ग बताया।
और सामाजिक एकता का संदेश दिया, संत कबीर साहेब कहते हैं-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।
पूर्ण परमात्मा ही स्वयं पूर्ण संत की और सच्चे भक्त की भूमिका अदा करता है।
कबीर साहेब के परमात्मा होने की गवाही देते हुए संतों की वाणी-
संत गरीब दास जी महाराज:-
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरूष कबीर हैं, कुल के सिरजनहार।।
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